शारदीय नवरात्रि 07 से 14 अक्टूबर 2021

Prernamurti Bharti Shriji
7 min readOct 7, 2021

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नवरात्रि क्या हैं ?

नवरात्रि का वास्तविक अर्थ है उपासना के दिन, इंद्रियों के दमन के 9 दिन, शरीर की बहती और बिखर रही ऊर्जा को समेट के आत्मा में विश्राम होने के 9 दिन । नवरात्रि का आध्यत्मिक अर्थ है शरीर मे विद्यमान 9 द्वारों को बंद करके शक्ति संचय करना, उपासना करना ।

इन दिनों में कम खाना, कम देखना, कम सुनना और मौन रखने का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि इन्ही इंद्रियों के द्वारों से शक्ति का ह्रास होता है, उन द्वारों पर आपका नियंत्रण हो और आप इंद्रियों सहित मन पर काबू कर सके, उसके स्वामी होकर अपने जीवन में आनन्दरस का प्रतिपल रसपान कर सके यह नवरात्रि का पवित्र संदेश है।

नवरात्रि आती है तो हम व्रत उपवास करते है, यह इन्द्रीयों का दमन है । मन पर काबू पाने का सरल और सुगम भक्तिमय साधन है । जो भी अपने जीवन मे महान हुए है उन्होंने अपने जीवन मे नवरात्रि की उपासना की ही है इसलिए ईश्वर ने नवरात्रि की रचना की है ।

Navratri2021
Navratri 2021

नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं ?

सामान्यतः वर्ष भर में चार नवरात्रि आती है । जिसमे दो गुप्त नवरात्रि होती है जो आषाढ़ और माघ माह के शुक्लपक्ष के प्रथम दिन से शुरू होती है और दूसरी दो प्रकट नवरात्रि होती हैं जिसमें पहली चैत्र की नवरात्रि और दूसरी शारदीय (अश्विन माह) की नवरात्रि होती है ऐसे मिलाकर एक साल में 9*4=36 दिन नवरात्रि होती है । ये चारों नवरात्रि का अपना विशेष महत्व है इन 36 दिनों में विशेष उपासना करने से स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर तीनों पवित्र हो जाते है । अंतःकरण शुद्ध हो जाता है, लौकिक और पारलौकिक अपार उन्नति का मार्ग इन 36 दिनों में खुल जाता है, ये गुरुमंत्र की सिद्धि के दिन है, इन दिनों में किये गए जप का प्रभाव शीघ्र उन्नति कराता है । उपासना से रहित नवरात्रि हृदय को मलीन करके स्वास्थ्य का ह्रास करता है । इसमें भी चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि दो ऋतुओं के संधिकाल में आती है । ऋतु परिवर्तन के कारण इस समय शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति कम होती है, जिसके कारण इन दो नवरात्रियों में व्रत और उपवास करके शरीर की कोशिकाओ को शुद्ध करने का लाभ लेकर नए ऋतु में प्रवेश करना चाहिए ताकि आप निरोग और क्रियान्वित रह सके।

नवरात्रि में उपवास, मंत्र जाप, सत्संग श्रवण, कीर्तन, भगवान की याद में नृत्य ये जरूर करना चाहिये इससे 9 दिनों की आध्यातरी देवी प्रसन्न होती है और मनोकामना पूर्ण होती है।

प्रेरणामूर्ति श्रीजी (Prernamurti Bharti Shriji) के द्वारा सुनिए नवरात्रि का महत्व :-

नवरात्रि के 9 दिनों की देवियाँ:-

Day 1. शैलपुत्री — शैलपुत्री माँ की उपासना से लक्ष्य की अडिगता स्थिरता की प्राप्ति होती है ये जड़ता की देवी है । प्रकृति की रक्षा करना, पंचमहाभूत को सन्तुलित रखना इनसे माँ शैलपुत्री प्रसन्न होती है।

Day 2. ब्रह्मचारिणी — अपनी चेतना की ओर जाना, अपनी अमरता को जानना, अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने की दिशा देती है । ये देवी व्यवहार में नियम, निष्ठा और अनुशासन को देती है , जीवन मे अनुशासित व्यवहार करने से माँ ब्रह्मचारिणी भक्तो पर अति प्रसन्न होती है।

Day 3. चंद्रघंटा — कर्म करते समय व्यवहार में वीरता और निर्भयता होना चाहिये । परिस्थितियों पर सत्य के लिए निर्भय होकर खड़े रहना, धर्मानुकूल व्यवहार करना ये सब माँ चंद्रघंटा प्रेरणा और शिक्षा देती है साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। परिस्थितियों पर उचित व्यवहार से माँ चंद्रघंटा प्रसन्न होती है ।

Day 4. कूष्माण्डा — यह देवी संतान उत्पत्ति की शक्ति प्रदान करती है।

Day 5. स्कन्द माता — माता स्कन्द की उपासना से व्यवहार में विद्वता और समाज सेवा का गुण विकसित होता है, लोक हित के कार्यो को करने का बल माता प्रदान करती है और उनके समाज हित के कार्यो में आने वाले संकटो का नाश करती है।

यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं है। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएँ स्कन्दमाता की कृपा से ही संभव हुईं।

Day 6. कात्यायनी — माँ की भक्ति करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है । जीवन मे आने वाले सभी दुख, दारिद्र, चिन्ता और कष्टों का नाश करती है।

Day 7. कालरात्रि — माँ कालरात्रि की उपासना से काल के प्रभाव का नाश हो जाता है व्यक्ति जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्त होने का सामर्थ्य प्राप्त करता है। उसकी समस्त विकारी वृत्तियों का नाश हो जाता है।

Day 8. महागौरी — सभी प्रकार की भक्ति दायिनी, सुख संपदा, सौभाग्य, स्त्रियों को मनवांछित वर देने वाली है और उनके सौभाग्य की रक्षा करने वाली है।

Day 9. सिद्धिदात्री — सभी प्रकार के लक्ष्य, सिद्धि, काम, अर्थ मां सिद्धिदात्री से प्राप्त होते है । जीवन में आत्मज्ञान, बुद्धत्व की प्राप्ति कराने वाली देवी है ।

नवरात्रि के इन 9 दिनों में सभी माताओं की उपासना से अभीष्ट की प्राप्ति होती है, व्यक्ति गुणवान, चरित्रवान, तेजस्वी, ओजस्वी होकर महान भाग्य की ओर अग्रसर होता चला जाता है इसलिए नवरात्रि के इन पवित्र दिनों का विशेष लाभ लेना चाहिए।

नवरात्रि कथा:-

श्रीमद् देवी भागवत पुराण के तृतीय स्कंध में आता है कि नारद जी भगवान श्री राम से कहते हैं कि मैं तुम्हें रावण के वध का उपाय बताता हूं, आश्विन महीने की नवरात्र में श्रद्धा पूर्वक अनुष्ठान, सविधि जप, उपवास, भगवती की आराधना, व होम आदि करने से सर्व सिद्धियों की प्राप्ति होती है । बहुत पहले ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इंद्रादिक इस नवरात्र का अनुष्ठान कर चुके हैं । किसी कठिन परिस्थिति में पड़ने पर मनुष्य को यह व्रत अवश्य करना चाहिए । हे राघव ! विश्वामित्र, गुरु वशिष्ठ, कश्यप आदि ऋषियों द्वारा इस व्रत का अनुष्ठान हो चुका है इसलिए रावण के वध के निमित्त तुम इस व्रत का अनुष्ठान अवश्य करो । तब भगवान रामजी ने 9 दिनों तक माता की पूजा आराधना कि उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां जगदंबा ने प्रभु को लंका पर विजय प्राप्ति का आशीर्वाद दिया । दसवें दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण को युद्ध में परास्त कर उनका वध करके लंका पर विजय प्राप्त की इसी दिन को विजयादशमी के रूप में जाना जाता हैअधर्म पर धर्म की विजय का पर्व मनाया जाता है ।

श्रीमद देवी भगावत पुराण के पंचम स्कन्द में एक दूसरी कथा भी आती है कि महिषासुर नामक एक राक्षस अपनी कठिन तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके उनसे वरदान प्राप्त कर लेता है कि उसे कोई भी देव, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला कोई भी मनुष्य मार ना सके केवल उसकी मृत्यु स्त्री के हाथों ही हो, वह सोचता है कि स्त्री तो स्वयं निर्बल होती है वह क्या मेरा कुछ बिगाड़ सकती है इसलिए वह ब्रह्मा जी से स्त्री के हाथों मरने का वरदान प्राप्त कर लेता है । वरदान प्राप्त करते ही महिषासुर देवताओं से युद्ध कर स्वर्ग पे अपना आधिपत्य कर लेता है जिसके भय से तीनों लोक में हाहाकार मचने लगता है । सभी देवता ब्रह्मा विष्णु महेश सहित जब महिषासुर से युद्ध करते हुए परास्त हो जाते हैं, तब ब्रह्मा जी कहते हैं कि महिषासुर ने उनसे वरदान प्राप्त किया है कि उसकी मृत्यु केवल स्त्री के हाथों ही हो, तब सभी देवता विचार करते है कि महिषासुर सैकड़ों प्रकार की मायाओं का पूर्ण जानकार है, यदि हम लोगों की समवेत शक्तियों के अंश से कोई देवी प्रकट हुई तो वह उसे मारने में सफलता प्राप्त कर सकेगी, तब सभी देवी देवता अपनी शक्तियों से अनुरोध करते हैं तब सभी देवी और देवताओं के शरीरों से तेज का प्रादुर्भाव हुआ, सबके विग्रह से निकले हुए तेज एकत्रित हुए और उनका एक महान प्रज्वलित पुंज बन गया, वह तेज पुंज महान विलक्षण था, देखते ही देखते वह तेजपुंज एक परम सुंदर स्त्री माँ दुर्गा के रूप में परिणित हो गया । सभी देवी देवताओं ने इन्हें अपने-अपने आयुध प्रदान किये । महिषासुर को मारने के लिए तेज से प्रकट हुई यह देवी 18 भुजाओं से संपन्न होने पर भी समय अनुसार हजारों भुजाओं से सुशोभित हो जाती थी, फिर माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ ने महिषासुर का वध कर दिया

इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में व अधर्म पर धर्म के रूप में भी मनाया जाता है

नवरात्रि 2021 में कब है ?

पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि 8 दिन की हैं इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि एक साथ पड़ रही है ऐसे में नवरात्र 7 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं और 14 अक्टूबर तक रहेंगे । 15 अक्टूबर को विजयादशमी यानी दशहरा मनाया जाएगा ।

दुर्गापूजा कलश स्थापना कब है ?

घटस्थापना : 7 अक्टूबर दिन गुरुवार को कलश स्थापना यानी घट स्थापना की जाएगी ।

महाष्टमी तिथि : 13 अक्टूबर 2021 को दुर्गाअष्टमी के रूप में मनाया जाएगा।

नवमी तिथि : 14 अक्टूबर दिन गुरुवार को शारदीय नवरात्रि का समापन होगा ।

दशमी तिथि : 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को दशहरा मनाया जाएगा ।

प्रेरणामूर्ति भारती श्रीजी बताते है कि “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” इस मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध माँ दुर्गा की एक-एक शक्ति से है, तथा उन 11 शक्तियों का संबंध 11 ग्रहों से हैं । माँ दुर्गा के नौ शक्तियों को जागृत करने के लिए 9 अक्षरों वाले मंत्र का जप किया जाता है, इस प्रकार यह मंत्र नौ ग्रहों को नियंत्रित करता है । विद्या, बुद्धि, ज्ञान, ऐश्वर्य, धन तथा सभी कामनाओं की प्राप्ति इस मंत्र के जप से होती है । हर व्यक्ति को पूर्ण श्रद्धा से दुर्गा सप्तशती, दुर्गा 32 नामावली का पाठ करना चाहिए । जिससे सब कार्यों की सिद्धि होती है । सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं , तथा समस्त विघ्न बाधाओं व संकटों से रक्षा होती है, शत्रु उसका बाल भी बांका नहीं कर सकते , तथा वह हर प्रकार के भयों से सदा मुक्त रहता है ।

शारदीय नवरात्रि लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद ! आपके मूल्यवान सुझाव लिखकर हमें अवगत कराएं की आपको ब्लॉग कैसा लगा।

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Prernamurti Bharti Shriji

A great visionary and a born leader who can lead everyone with innateness. An eloquent poet, writer and an orator by birth.