गीता जयंती 2021
युद्ध भूमि में जब दोनों सेनायें आमने-सामने हो, चारों तरफ द्वेष और प्रतिशोध की भावना का वातावरण हो तो क्या कोई उन परिस्थितियों में भी ज्ञान, भक्ति, कर्म आदि योगों की बाते कर सकता है ?? क्या हम ऐसा सोच सकते है ?? शायद नहीं, किन्तु इन्हीं परिस्थितियों में श्रीगीता जी का अवतरणहुआ।
ऐसी विपरीत परिस्थितियों में कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अनमोल ज्ञान श्रीगीताजी के रूप में श्री अर्जुन को माध्यम बनाकर भगवान ने सम्पूर्णसंसार को दिया और कम शब्दों में ही बता दिया कि जो जहाँ है वहीं से सही दिशा में कैसे चले और अपने मनुष्य जन्म के वास्तविक कर्तव्य कोपहचानकर हर परिस्थितियों में निर्भय होकर कैसे कर्म करे। भगवान ने गीताजी मे जीवन के सारे रहस्यों को सरल शब्दों में समझाया है।
गीता जयंती 2021 में कब है ?
इस वर्ष गीता जयंती 14 दिसंबर 2021 दिन गुरुवार को है।
श्री गीताजी का अवतरण :-
गीताजी का अवतरण मोक्षदा एकादशी के दिन हुआ है ।
भगवान श्री कृष्ण ने श्री अर्जुन के विषाद स्थिति में आने पर उन्हें वहाँ से निकालने के लिए जो वचन कहे वही वचन प्राणिमात्र के सामने श्रीगीताजी बनकरसामने आए, भगवान के इन वचनों को 18 अध्यायो में संकलित किया गया है।
अनेकों महापुरुषों ने श्री गीताजी पर व्याख्या की है लगभग श्रीगीताजी को विश्व की 578 भाषाओं में प्रकाशित किया गया है।
गीताजी में कुल श्लोकों की संख्या: गीताजी में कुल 700 श्लोक है
गीताजी में कुल 18 अध्याय है
अठाहरा अध्याय और उनके नाम :-
प्रथम अध्याय — अर्जुन विषाद योग
द्वितीयम् अध्याय — साँख्य योग
तृतीयम् अध्याय — कर्म योग
चतुर्थम् अध्याय — ज्ञानकर्म सन्यास योग
पञ्चम् अध्याय — सन्यास योग
षष्ठम् अध्याय — ध्यान योग
सप्तम् अध्याय — ज्ञानविज्ञान योग
अष्टम् अध्याय — अक्षरब्रह्म योग
नवम् अध्याय — राजविद्या-राजगुह्य योग
दशम् अध्याय — विभूति योग
एकादशम् अध्याय — विश्वरूप-दर्शन योग
द्वादशम् अध्याय — भक्ति योग
त्रयोदशम अध्याय — क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग
चतुर्दशम् अध्याय — गुणत्रय विभाग योग
पञ्चदशम् अध्याय — पुरोषोत्तम योग
षोडषम् अध्याय — दैवासुर सम्पद्विभाग योग
सप्तदशम् अध्याय — श्रद्धा त्रय विभाग योग
अष्टदशम् अध्याय — मोक्षसन्यास योग
समाज को भगवान श्री कृष्ण की अनमोल भेंट :-
हजारों वर्ष पहले मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि को युद्ध के मैदान में भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से प्रकट हुई, संपूर्ण विश्व को भगवान की अनमोलभेंट — “श्रीमद्भगवद्गीता” !! इस महान ग्रंथ के ज्ञान का कहीं अंत नहीं है । श्रीमद्भगवद्गीता भगवान का हृदय है । भगवान स्वयं कहते हैं — ‘गीता में हृदयं पार्थ- गीता मेरा हृदय है ।’ जो स्वयं गीता का पाठ करते दूसरों से करवाते हैं तथा गीता प्रचार की सेवा करते हैं उनके लिए भगवान कहते हैं :
न च तस्मान्मनुष्येषु कश्र्चिन्मे प्रियकृत्तमः |
भविता न च मे तस्मादन्यः प्रियतरो भुवि ||
‘उससे बढ़कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है तथा पृथ्वी भर में उससे बढ़कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं ।’
(भगवत गीता 18:69)
गीता ज्ञान को भूले हुए आज के जन-समाज में गीता ज्ञान का प्रचार करना मानो जन-जन में नवजीवन और नवीन उत्साह का संचार करना है । भगवान केहृदय को जन-जन तक पहुंचाना भगवान के प्रसन्नता और अपने जीवन में खुशियां प्राप्त करना है ।
“श्रीमद्भगवद्गीता” एक कल्पवृक्ष है :-
“श्रीमद्भगवद्गीता” यह कैसा कल्पवृक्ष है जो हर मनुष्य के लिए हर समय, हर अवस्था में सुलभ है । ऐसी कौन-सी इच्छा है, कौन-सी मनोकामना है, जिसेगीता रूपी कल्पवृक्ष की शीतल छाया में बैठकर मनुष्य पूर्ण नहीं कर सकता । सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति चाहिए या मानसिक शांति, ज्ञान के इसविचार महासागर से सब कुछ मिलता है । गीता जी के रूप में मानव जाति को कितना सुंदर और अद्भुत उपहार दिया है भगवान श्री कृष्ण ने ! जिसके लिएना जाति-पाति, ना धर्म और ना ही आयु की सीमा है । हर संदेह का निवारण, हर समस्या का समाधान, हर सवाल का जवाब श्री गीता जी में है ।
गीता जयंती :-
इससे अधिक गर्व की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है कि श्रीमद्भगवद्गीता हमारे भारत देश का एक ऐसा मात्र ग्रंथ है, जिसकी जयंती पूरे विश्व मेंमनाई जाती है, जिसके श्लोक पूरे विश्व में पढ़े एवं गाये जाते हैं । हमारे देश का यह ग्रंथ आज पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है ।
प्रभु हृदय से निकली वाणी,
‘श्रीमदभगवतगीता’ नाम है ।
गीता ज्ञान है अति अनुपम,
यह पूरे विश्व की शान है ।।
कैसे मनाए गीता जयंती ?
गीता जयंती के दिन एक साफ आसान पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर उस पर गीताजी विराजमान करे फिर उनका पूजन करे, पुष्प अर्पण करें, आरती करेंऔर घर के सभी सदस्य मिलकर गीताजी का कोई भी एक अध्याय का सामूहिक पाठ करे समय हो तो सम्पूर्ण गीताजी के सभी अध्यायों का अखंड पाठभी कर सकते है। गीताजी से प्रार्थना करे कि आपके बताये हुए सिद्धान्त अनुसार हम अपना जीवन बनाये ऐसी प्रेरणा और आशीर्वाद हमे प्रदान कीजियेऔर इस दिन लोगो मे गीताजी बाँटे और उसका महात्म्य लोगो को समझाए इस प्रकार गीताजी के अवतरण का अनान्द उत्सव मनाइए।
गीताजी से कैसे पाए अपनी समस्या का समाधान ?
श्रीमद्भगवद्गीता को किसी शुद्ध वस्त्र पर रखकर उसके आगे दीप जलाएं । फिर उसके सम्मुख बैठकर भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण कर अपनी समस्या कोमन में दोहराएं और प्रार्थना करें- ‘हे भगवान ! मेरे इस प्रश्न के अनुरूप मेरे लिए हितकर समाधान देने की कृपा करें । मुझे प्रेरणा दें ।’ फिर गीता जी कोखोलें और जो पृष्ठ खुले उसे पूरी श्रद्धा और विश्वास से पढ़े ।आपकी समस्या का समाधान उसी में मिलेगा।
गीताजी और समाधान :-
1. गीताजी के सातवें अध्याय का पाठ अपने पितरों की मुक्ति के लक्ष्य करके करने से उनकी सदगति हो जाती है।
2. अगर कोई व्यक्ति मरनासन्न हो तो उसे गीताजी का आठवा अध्याय सुनाना चाहिये जिससे उसकी जीवन यात्रा का अंत सुखद हो और मोक्ष की प्राप्तिहो।
3. किसी को अपने जीवन से आधि, व्याधि और उपाधि का सम्पूर्ण नाश करना हो तो गीताजी के 11 वे अध्याय का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए।
4. किसी को अगर परमात्मा से प्रीति और भक्ति बढ़ानी हो तो गीताजी के 12वे अध्याय का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए।
5. प्रतिदिन भोजन के पहले गीताजी के 15 वे अध्याय का पाठ करने से भोजन प्रसादरूप हो जाता है और घर गृहस्थी में बरकत होती है।
6. किसी को अपने जीवन मे दैवीसम्पदा के गुण विकसित करने और निर्भयता प्राप्त करनी हो तो 16 वे अध्याय के पहले, दूसरे और तीसरे श्लोक कापाठ नियमित रूप से करना चाहिए।
7. गीताजी के अठाहरवे अध्याय के आखरी श्लोक का प्रतिदिन 21 बार पाठ करके नौकरी और धंधे की शुरुवात करने से बरकत होती है।
यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर: ।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥ (18:78)
8. छोटे छोटे बच्चों को गीताजी के श्लोकों को संस्कृत में कण्ठस्थ कराना चाहिये और जोर-जोर से उच्चारण करना चाहिए इससे बच्चों की स्मृति शक्तिबढ़ती है।
9. गर्भिणी स्त्री अगर अपने गर्भ काल के दिनों में गीताजी के श्लोक को पढ़ती है और अर्थ का मन में विचार करती है तो तेजस्वी बच्चे को जन्म दे सकतीहै गर्भिणी स्त्री को इस दौरान गीताजी जरूर पढ़ना चाहिए इससे उनके गर्भ में पल रहे शिशु में दैवी गुण आयेंगे जो आगे जाकर माँ-बाप और देश का नामरोशन करेगा।
10. कोई गीताजी लिखकर उसका तावीज बनाकर धारण करता है तो उसके सारे विघ्नरूप उपद्रवों का नाश हो जाता है।
भारत की आजादी में गीताजी की भूमिका :-
भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराने के लिए जो बल, निर्भयता, सूझबूझ मिली इसका पूरा श्रेय श्रीगीता माता को ही जाता है । छोटे-छोटे बच्चेअंग्रेजो के सामने गीताजी का ये श्लोक जोर-जोर से गाते थे -
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।2.23।।
और आँखों मे आँखे डालकर अंग्रेजो के सामने अपना विरोध दिखाते थे जिसका लोहा अंग्रेजो को भी मानना पड़ता था और बच्चों की इस निर्भयता से वेबहुत प्रभावित थे । इसलिए सभी बच्चों को गीताजी के कुछ श्लोक याद करना चाहिए और अपने जीवन मे लाना चाहिये।
बच्चे अगर छोटी उम्र से गीताजी पढ़ते और अर्थ के अनुसार अपने जीवन को दिशा देते है तो निश्चय ही उनका ओज तेज सम्पूर्ण संसार को दिशा देसकता है वे इतने महान हो जायेंगे।
भारत देश के हर मात-पिता को अपने बच्चों को कम से कम गीताजी के सांतवे, दसवें, बारवहें और पंद्रहवे अध्याय के श्लोकों को कंठस्थ कराना चाहिये।
भगत सिंह फांसी पर चढ़ने के पहले भी गीताजी का श्लोक गुण गुनाते है और अपनी आत्मा की अमरता को याद करके हँसते- हँसते फाँसी पर चढ़ जातेहै ।
रानी लक्ष्मी बाई भी गीताजी का प्रतिदिन स्वाध्याय करती थी इसलिए इतनी निर्भय होकर अंग्रेजो के सामने डटी रही और उनके पसीने छुटा दिए।
आजादी के अनेको वीर जैसे महात्मा गाँधी, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, मदन मोहन मालवीय जी, सुभाषचंद्र बोस, खुदीराम बोस आदि-आदि वीर अपनी आजादी के कार्य करने की प्रेरणा और निर्भयता गीताजी से ही प्राप्त करते थे।
गीताजी का ये सिद्धान्त सम्पूर्ण विश्व में बहुत ही प्रचलित है कि आत्मा, अमर, अविनाशी है । शरीर मरने मिटने वाला है और हर पल मृत्यु की ओरअग्रसर है । जीवन मे कोई भी परिस्थिति आये तो चित्त को समता में रखकर स्वागत करना चाहिए । गीताजी के इन्ही सिद्धान्तों से सभी जन मानसप्रभावित होते है और प्रेरणा पा लेते हुए जीवन में निर्भयता विकसित कर लेते है।
विदेशों में गीताजी का प्रभाव :-
मानसिक व बौद्धिक बीमारी का इलाज श्री गीता माता के पास है । इस बात को अब विदेशों की बहुत बड़ी-बड़ी हस्तियाँ भी समझ रही है और विदेशों मेंकई स्कूलों में गीता को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में अपनाया जा रहा है । 2008 में अमेरिका के न्यूजर्सी की सेटॉन हॉल यूनिवर्सिटी में आने वाले हरछात्र को भगवतगीता पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है । रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश है । एनीमोनिउस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन के छात्रों को महाभारत और रामायण सिखाई जाती है ।
गीता चैंपियन लीग प्रतियोगिता :-
2015 में गीता चैंपियन लीग प्रतियोगिता में 12 साल की मरियम आसिफ सिद्दीकी ने प्रथम पुरस्कार जीतकर पूरे भारत में प्रसन्नता प्राप्त की ।
2017 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित गीता ज्ञान प्रतियोगिता में 16 साल के आफरीन रउफ ने लखनऊ से प्रथम और मेरठ से 15 साल कीआलिया खान ने भगवान श्री कृष्ण का रूप धारण कर गीता गाकर सुनाएं और द्वितीय स्थान प्राप्त किया ।
हर वर्ष प्रेरणामूर्ति श्री जी की प्रेरणा से गीता प्रेरणा अभियान चलाया जाता है जिसमें कई ईसाई स्कूल भी हिस्सा लेते हैं और उनके प्रिंसिपल वचन भीलेते हैं कि हम हर रोज गीता श्लोक उच्चारण के बाद ही स्कूल की शुरुआत करेंगे ।
इस बार भी आप इस अभियान में सहभागी बने स्वयं गीता को पढ़े और दूसरों में बांटे । कम से कम 10 बच्चों को गीता के श्लोकों का उच्चारण अवश्यकरवाएं । 7 दिन तक आपको यह अभियान चलाना है आप अपने घर अथवा सोसाइटी के 10 लोगों को भी गीता का पठन-पाठन व उच्चारण करवासकते हैं ।
10 लोगों को गीता के श्लोकों का उच्चारण करवाने पर
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गीता जयंती 2021 लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद ! आपके मूल्यवान सुझाव लिखकर हमें अवगत कराएं की आपको ब्लॉग कैसा लगा।
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